❖ विषय: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा न्यायपालिका पर की गई टिप्पणी – भारतीय लोकतंत्र के लिए चेतावनी या संविधानिक संघर्ष?

🔶 परिचय

हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ न्यायाधीश “सुपर संसद” की भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने न्यायपालिका पर संविधान में निर्धारित पावर डिवीजन की सीमाओं को लांघने का आरोप लगाया। यह बयान एक महत्वपूर्ण सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में आया है जिसमें राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा लंबित बिलों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया था।

🔶 प्रासंगिक पृष्ठभूमि

तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि द्वारा कई विधेयकों पर लंबी अवधि तक कोई निर्णय न लेने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि:

  • राष्ट्रपति तीन महीने में फैसला लें,
  • और यदि कोई संवैधानिक प्रश्न उत्पन्न होता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट को संदर्भित किया जा सकता है।

इस निर्णय को राज्य विधानसभाओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में उठाया गया कदम माना गया, लेकिन इससे कार्यपालिका के क्षेत्राधिकार को लेकर बहस छिड़ गई।


🔶 उपराष्ट्रपति की टिप्पणी: न्यायपालिका “सुपर संसद” बन रही है?

धनखड़ ने अपने भाषण में कहा:

“आप राष्ट्रपति को निर्देश कैसे दे सकते हैं? संविधान के तहत न्यायपालिका का कार्य केवल अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका को कानून निर्माण या प्रशासनिक निर्देश देने का अधिकार नहीं है। यह कार्य संविधान के अनुसार विधायिका और कार्यपालिका का है।

🔶 संविधान में शक्तियों का विभाजन: संतुलन या संघर्ष?

भारतीय संविधान तीनों स्तंभों—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका—के बीच शक्तियों का विभाजन सुनिश्चित करता है। लेकिन व्यवहार में यह विभाजन हमेशा स्पष्ट नहीं होता।

  • न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) ने अक्सर शासन की खामियों को भरने का कार्य किया है।
  • किंतु जब न्यायपालिका प्रशासनिक या विधायी निर्देश देने लगे, तो यह न्यायिक अतिक्रमण (Judicial Overreach) बन सकता है।

🔶 न्यायिक सक्रियता बनाम न्यायिक अतिक्रमण

पक्ष न्यायिक सक्रियता न्यायिक अतिक्रमण
उद्देश्य नागरिक अधिकारों की रक्षा, शासन की विफलताओं की पूर्ति विधायिका और कार्यपालिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप
परिणाम लोकतंत्र को मजबूती संविधानिक संतुलन को खतरा

धनखड़ का यह बयान इस चिंता को सामने लाता है कि क्या न्यायपालिका, संवैधानिक सीमाओं का अतिक्रमण कर रही है?


🔶 क्या यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक चेतावनी है?

उपराष्ट्रपति की टिप्पणी को एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है:

  • न्यायपालिका को संविधान की मर्यादा में रहकर काम करना चाहिए।
  • कार्यपालिका को प्रभावी निर्णय क्षमता दिखानी चाहिए, ताकि अदालतों को हस्तक्षेप न करना पड़े।
  • विधायिका को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए ताकि नीति निर्माण का कार्य संसद तक सीमित रहे।

यह एक अवसर है जब सभी स्तंभों को संवैधानिक मर्यादाओं और कर्तव्यों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

🔶 निष्कर्ष: व्याख्या और हस्तक्षेप के बीच संतुलन

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की आलोचना केवल एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि यह एक संवैधानिक चेतावनी है। भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र में न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका आवश्यक है, परंतु यह भी ज़रूरी है कि सभी संस्थाएं अपने सीमित क्षेत्राधिकार में कार्य करें।

सहयोगात्मक संविधानवाद (Cooperative Constitutionalism) ही भारत के लोकतंत्र को आगे बढ़ा सकता है, न कि संस्थानों के बीच संघर्ष।

🔷 मुख्य बिंदु (UPSC Mains हेतु संक्षिप्त नोट्स):

  • हालिया विवाद: सुप्रीम कोर्ट का राष्ट्रपति को निर्देश और उपराष्ट्रपति की आलोचना।
  • मुख्य मुद्दा: शक्तियों का विभाजन और न्यायिक अतिक्रमण की आशंका।
  • न्यायिक सक्रियता बनाम अतिक्रमण की बहस।
  • संविधान की मर्यादा और लोकतांत्रिक संतुलन की आवश्यकता।
  • निष्कर्ष: सहमति और संतुलन से ही संवैधानिक व्यवस्था टिकाऊ बन सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Register for Scholarship Test

Get Scholarship up to Rs. 1,00,000 

Category

Latest posts

  • All Posts
  • ART AND CULTURE
  • BILATERAL ISSUES
  • BPSC
  • CAREER STRATEGISTS
  • Constitution
  • CSAT
  • CSE MAIN EXAMS
  • CURRENT AFFAIRS
  • ECOLOGY
  • ECONOMICS
  • ENVIRONMENT
  • ESSAY
  • General Science
  • GENERAL STUDIES
  • GEOGRAPHY
  • GOVERNANCE
  • GOVERNMENT POLICY
  • HISTORY
  • INDIAN POLITY
  • International Relation
  • INTERVIEW
  • MPPSC
  • OPTIONALS
  • PRELIMS
  • SCIENCE AND TECHNOLOGY
  • SOCIAL ISSUES
  • TEST SERIES
  • UPPCS
  • UPSC
  • अर्थशास्त्र
  • इतिहास
  • कला और संस्कृति
  • जैव विविधता
  • द्विपक्षीय मुद्दे
  • निबंध सीरीज
  • परिस्थितिकी
  • पर्यावरण
  • प्रदूषण
  • भारतीय राजनीति
  • भूगोल
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी
  • सामयिक घटनाएँ
  • सामान्य अध्ययन
  • सामान्य विज्ञान

Tags

Contact Info

You can also call us on the following telephone numbers:

Edit Template

Begin your journey towards becoming a civil servant with Career Strategists IAS. Together, we will strategize, prepare, and succeed.

© 2024 Created with Career Strategists IAS