परिचय
जी-20 (G20) दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंच है, जो वैश्विक चुनौतियों से निपटने और सहयोग बढ़ाने के लिए देशों को एक साथ लाता है। यह मंच वैश्विक GDP के 80%, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के 75% और विश्व जनसंख्या के 60% से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।
स्थापना के पीछे उद्देश्य
जी-20 की स्थापना 1999 में वित्तीय संकटों के उत्तर में हुई थी। इसका उद्देश्य विकसित और विकासशील देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देना और वैश्विक आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करना था। 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान इसे राज्याध्यक्षों के स्तर पर बढ़ाया गया, और इसका दायरा व्यापक हो गया। मुख्य उद्देश्य:
- वैश्विक वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देना।
- विकसित और विकासशील देशों के बीच नीति समन्वय।
- सतत विकास और आर्थिक सुधारों की दिशा में काम करना।
जी-20 की प्रगति
जी-20 ने वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं:
- आर्थिक स्थिरता: 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान समन्वित नीतियों ने अर्थव्यवस्था को स्थिर किया।
- सतत विकास: हरित वित्त और ऊर्जा संक्रमण की दिशा में कई पहल शुरू की गईं।
- वैश्विक स्वास्थ्य: COVID-19 महामारी के दौरान टीके की पहुंच और स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने में योगदान दिया।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था: डिजिटल व्यापार, साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर पहल।
ब्राज़ील में हालिया G-20 शिखर सम्मेलन (2024)
2024 का G-20 शिखर सम्मेलन ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित हुआ, जिसमें सामाजिक समावेश, वैश्विक शासन सुधार और ऊर्जा परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रमुख निष्कर्ष:
- भुखमरी और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन: 2030 तक भुखमरी और गरीबी को समाप्त करने के लिए इस पहल की शुरुआत की गई।
- अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सुधार: संयुक्त राष्ट्र, IMF, और विश्व बैंक जैसे संगठनों में सुधार पर चर्चा।
- ऊर्जा परिवर्तन: हरित और सतत ऊर्जा प्रणालियों के लिए रणनीतियां।
- शांति और संघर्ष समाधान: यूक्रेन और फिलिस्तीन पर शांति निर्माण के लिए राजनयिक समाधान पर जोर दिया गया ।
G-20 में भारत की भूमिका
भारत G-20 में एक प्रमुख सदस्य के रूप में उभरा है, जो समावेशी विकास और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को बढ़ावा देता है। भारत की भूमिका के मुख्य बिंदु:
- आर्थिक नेतृत्व: वैश्विक वित्तीय संस्थानों में सुधार और विकासशील देशों को बेहतर प्रतिनिधित्व दिलाने की वकालत।
- जलवायु कार्रवाई: इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसी पहलों के माध्यम से हरित ऊर्जा के क्षेत्र में योगदान।
- डिजिटल परिवर्तन: डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर में भारत के अनुभव को साझा करना।
- वैश्विक स्वास्थ्य: 2023 में अपने जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत ने स्वास्थ्य समानता को प्राथमिकता दी।
विश्व राजनीति, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति पर प्रभाव
- विश्व राजनीति:
- जी-20 भू-राजनीतिक तनावों को संबोधित करने और राजनयिक संवाद को बढ़ावा देने का मंच बन गया है।
- वैश्विक शासन सुधार पर चर्चाओं ने शक्ति संतुलन में बदलाव को रेखांकित किया है।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था:
- समन्वित नीतियों ने वैश्विक बाजारों को स्थिर किया और आर्थिक असमानताओं को कम करने की दिशा में काम किया।
- अमीरों पर कर लगाने और सतत विकास के लिए धन जुटाने की पहल
- भू-राजनीति:
- जी-20 वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच शक्ति संतुलन का मंच बन गया है।
- भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की बढ़ती भूमिका।
निष्कर्ष
G-20 21वीं सदी की प्रमुख चुनौतियों जैसे आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक स्वास्थ्य असमानताओं का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत की सक्रिय भागीदारी एक अधिक न्यायसंगत और सतत वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जैसे-जैसे G-20 विकसित होगा, इसकी प्रासंगिकता और प्रभाव वैश्विक समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण बनी रहेगी।